कन्यादान

Submitted by satya on रवि, 02/14/2016 - 12:42

दान करे क्या कोई दुनिया में
जैसा दान किया मैंने,
दिल का एक टुकड़ा ही दे डाला,
अहा! कैसा दान किया मैंने.

जिस बेटी को जब चोट लगी,
एक टीस उठी मेरे दिल से.
आज दिल पर पत्थर रखकर,
उसी बेटी को दान किया मैंने.
ये कैसा दान किया मैंने!

बेटी क्या! एक सहारा थी.
सारे घर का उजियारा थी.
आज घर में अंधियारा है,
दिए को दान किया मैंने.
ये कैसा दान किया मैंने!

देखो बेटा! ना ठेस लगे
कमाल कि कोमल कलि है ये.
देखो कोई दुःख ना हो इसे,
बड़े नाजों से पली है ये!
अपने गुलशन की कली तोड़,
दूजे को दान किया मैंने.
ये कैसा दान किया मैंने!

जो ये धुंआ देखा तुमने,
ये पटाखों का धुआं नहीं.
मेरे दिल से ही उठा है ये,
जो हिस्सा टूटा वो भरा नहीं!
अब सुखी रहो तुम पति-पत्नी,
तुमको वरदान दिया मैंने.
ये कैसा दान दिया मैंने!

पंडित-महंत सब कहते हैं,
पापों का त्राण किया मैंने.
ये कन्यादान दिया मैंने.
ये कन्यादान दिया मैंने.

 

 

उपनाम