हमारा लोकतंत्र
लोकतंत्र है आज देश में,
बाढ़ आ गयी नेता की.
नेताओं की बाढ़ देख,
याद आती द्वापर-त्रेता की.
राम और कृष्ण नहीं,
याद आते हैं रावण और शकुनी मामा.
मातृभूमि का हर के चीर,
दुशाशन करता हंगामा.
कुरुक्षेत्र था एक बस तभी,
आज हुआ देश व्यापी.
रुधिर बहा करता गलियों में,
जिसे देख जनता काँपी.
चुनाव होता है आज इस तरह,
यूं जनता ने वोट दिए,
चुनना था जनता को इनमें
किसने सबसे कम खून किये!
अभिनेता बने हैं नेता आज,
नेता अब अभिनय करते हैं,
अभिनय-नीति का फर्क मिटा यूं,
खाई मिति नेता और अभिनेता कि.
लोकतंत्र है आज देश में बाढ़ आ गयी नेता कि.
- Log in to post comments