मधुशाला (१०)

Submitted by satya on मंगल, 06/21/2016 - 19:05

१०)

सुन, कलकल, छलछल मधु-
घट से गिरती प्यालों में हाला,
सुन, रुनझुन, रुनझुन चल
वितरण करती मधु साकीबाला;

बस आ पहुँचे, दूर नहीं कुछ,
चार कदम अब चलना है;

चहक रहे, सुन, पीनेवाले,
महक रही, ले, मधुशाला|