मधुशाला (९)

Submitted by satya on मंगल, 06/21/2016 - 19:04

९)

मदिरा पीने की अभिलाषा
ही बन जाए जब हाला,
अधरों की आतुरता में ही
जब आभासित हो प्याला,

बने ध्यान ही करते-करते
जब साकी साकी साकार, सखे,

रहे न हाला, प्याला, साकी,
तुझे मिलेगी मधुशाला|