मधुशाला (१४)

Submitted by satya on Tue, 06/21/2016 - 19:10

१४)

लाल सूरा की धार लपट-सी
कह न इसे देना ज्वाला,
फेनिल मदिरा है, मत इसको
कह देना उर का छाला,

दर्द नशा है इस मदिरा का
विगतस्मृतियाँ - साकी - है;

पीड़ा में आनंद जिसे हो,
आए मेरी मधुशाला|