जब वो आतीं खिलती कलियाँ,
जब वो आतीं खिलते मन,
जब वो आतीं धक-धक करके,
हृदय धड़कता, पल-पल हरदम|
जब वो आतीं, देख-देख कर,
होता है मन-चित्त प्रसन्न|1|
काश! वो मुझसे बातें करती,
भूल जाता मैं सारे ग़म|
अगर साथ मिले जो उनका,
लगा दूँ अपना तन, मन, धन|2|
रहना चाहे कदमों में उनके,
मृगतृष्णा सा पागल मन,
रहना चाहे कदमों में उनके,
मृगतृष्णा सा पागल मन|3|
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