Submitted by satya on मंगल, 06/21/2016 - 19:11 १५) जगाती की शीतल हाला-सी, पथिक, नहीं मेरी हाला जगती के ठंडे प्याले-सा, पथिक, नहीं मेरा प्याला; ज्वाला-सूरा जलते प्याले में दग्ध ह्रदय की कविता है; जलने से भयभीत न हो जो, आए मेरी मधुशाला| Book traversal links for मधुशाला (१५) ‹ मधुशाला (१४) ऊपर