Submitted by satya on मंगल, 06/21/2016 - 18:56 ३) प्रियतम, तू मेरी हाला है, मैं तेरा प्यासा प्याला, अपने को मुझमें भरकर तूबनता है पीनेवाला; मैं तुझको छक छलका करता, मस्त मुझे पी तू होता, एक दुसरे को हम दोनों आज परस्पर मधुशाला| Book traversal links for मधुशाला (३) ‹ मधुशाला (२) ऊपर मधुशाला (४) ›