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पौधे की पुकार

पौधा

ऐ मानव, जो हम ना रहे तो

तुम कैसे रह पाओगे,

सावन के झूले छोड़ चुके हो

और क्या-क्या छुड़ाओगे?

 

ऑक्सीजन के सिलेंडर

अपनी पीठों पर लटकाओगे,

उस सिलेंडर में भरने को

ऑक्सीजन कहाँ से लाओगे?

 

तुमने जंगलों को काटकर

कंक्रीट के जंगल खड़े किए,

इन जंगलों में सजाने को

लकड़ी कहाँ से लाओगे?

 

इतना सोचो हमारे बिना

आयुर्वेद का मोल कहाँ,

रोगों के उपचार के लिए

जड़ी-बूटियाँ कहाँ से पाओगे?

 

अगर जानवर नहीं रहे तो 

तुम्हारा भी अस्तित्व कहाँ,

पंचतंत्र की कहानियों में

पात्र किसे बनाओगे?

 

अब भी वक्त है ऐ इंसानों

हमारी नहीं खुद की सोचो,

अगर सृष्टि यूँ उजड़ गई तो

फिर पीछे पछताओगे|

 

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सत्य प्रकाश शुक्ल