मधुशाला (१५)

By satya |

१५)

जगाती की शीतल हाला-सी,
पथिक, नहीं मेरी हाला
जगती के ठंडे प्याले-सा,
पथिक, नहीं मेरा प्याला;

ज्वाला-सूरा जलते प्याले में
दग्ध ह्रदय की कविता है;

जलने से भयभीत न हो जो,
आए मेरी मधुशाला|